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वेदभाष्य के नमूने का अंक
Vedbhashya Ke Namune Ka Ank
By : Swami Dayanand Saraswati In : Hindiमहर्षि ने वेदभाष्य करने का संकल्प संवत् १९२९ के अन्त या संवत् १९३० के आदि में किया और उसके लिए प्रयत्न तभी से आरम्भ कर दिया। वेदभाष्य लिखने से पूर्व महर्षि ने उसका स्वरूप जनता में प्रकट करने के लिए दो बार 'वेदभाष्य के नमूने' प्रकाशित करवाये थे।
पहले नमूने में ऋग्वेद के प्रथम मन्त्र (ओम् अग्निमीळे पुरोहितम्) अथवा प्रथम पूरे सूक्त का भाष्य प्रकाशित किया गया था। इसमें संस्कृत के साथ गुजराती और मराठी अनुवाद भी था। पहले मन्त्र के दो प्रकार के अर्थ किये थे-भौतिक और पारमार्थिक। महर्षि ने इसकी भूमिका में लिखा था कि सारे वेदों का इसी शैली में अनुवाद करूँगा। श्री पं० देवेन्द्रनाथ जी के अनुसार, इस नमूने में ऋग्वेद के प्रथम पूरे सूक्त का भाष्य था, जबकि पं० लेखराम जी के अनुसार केवल प्रथम मन्त्र का भाष्य था। प्रमाणों के अनुसार पं० देवेन्द्रनाथ जी की बात सत्य सिद्ध होती है।
दूसरे नमूने में ऋग्वेद के प्रथम मण्डल का प्रथम सूक्त और द्वितीय सूक्त के प्रथम मन्त्र के संस्कृत भाष्य का कुछ अंश छपा था। इसमें प्रत्येक मन्त्र के दोनों प्रकार के (भौतिक और पारमार्थिक) अर्थ दर्शाये गये थे। सायण, महीधर, उब्बट आदि के गलत भाष्यों से वेदों के विषय में अनेक भ्रान्तियाँ फैल चुकी थीं। अतः वेदभाष्य के इस भावी स्वरूप को नमूने के तौर पर प्रस्तुत करके महर्षि लोगों के अनुकूल और प्रतिकूल दृष्टिकोण को जानना चाहते थे। उन्होंने प्रथम नमूना काशी के पण्डित बालशास्त्री व स्वामी विशुद्धानन्द सरस्वती को तथा कलकत्ता के श्री के०एम० बनर्जी (बालीगंज), श्री राजेन्द्रलाल मित्र (माणिकटीला) तथा अमृतसर के श्री दयालसिंह मजीठिया एवं अन्य स्थानीय पण्डितों को भी सन् १८७५ में राजा जयकृष्णदास के द्वारा भिजवाया था, तीनों ने अपनी सम्मति क्रमशः १० दिसम्बर, ११ सितम्बर और २६ दिसम्बर १८७५ को राजा जयकृष्णदास, मुरादाबाद के पास भेज दी थी।
स्वामी विशुद्धानन्द आदि उपर्युक्त पण्डितों ने तो विरोध नहीं किया था, परन्तु द्वितीय नमूने पर कलकत्ता संस्कृत कालेज के स्थानापन्न प्रिंसिपल श्री पं० महेशचन्द्र न्यायरल और पं० गोविन्दराय ने आक्षेप किये और इस विषयक पुस्तकें भी छपवाई थीं। पं० शिवनारायण अग्निहोत्री ने भी इसके खण्डन में 'दयानन्द सरस्वती के बेदभाष्य का रिव्यू' नामक पुस्तक छपवाई थी और 'रिसाले हिन्द' में भी कुछ लेख छपवाये थे।
वेदभाष्य के ये दोनों नमूने क्रमशः कार्तिक संवत् १९३१ में तथा संवत् १९३३ में छापे गये थे।
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Title : वेदभाष्य के नमूने का अंक
Sub Title : N/A
Series Title : दयानन्द ग्रन्थमाला
Language : Hindi
Category :
Subject : वेद
Author 1 : स्वामी दयानन्द सरस्वती
Author 2 : N/A
Translator : N/A
Editor : N/A
Commentator : N/A
Publisher : Vedic Pustakalay
Edition : 4th
Publish Year : 2016
Publish City : Ajmer
ISBN # : N/A
http://www.vediclibrary.in/book/vedbhashya-ke-namune-ka-ank