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शिक्षापत्रीध्वान्ति-निवारणम्
Shikshapatri-dhwanti-nivaranam
By : Swami Dayanand Saraswati In : Hindiयह ग्रन्थ सहजानन्द द्वारा प्रतिपादित स्वामी नारायण मत का खण्डन करने के लिए लिखा गया है। इस ग्रन्थ का दूसरा नाम 'स्वामी नारायणमत खण्डन' भी है।
इस मत के अनुयायी लोग सहजानन्द को नारायण का अवतार मानते थे। गोलोक और वैकुण्ठ में रहने वाले चतुर्भुज, द्विभुज और लक्ष्मीपति ईश्वर को वे नारायण मानते हैं। सहजानन्द द्वारा रचित शिक्षापत्री के अंशों को लेकर ही स्वामी जी ने असत्य और वेद के विरुद्ध बातों का खण्डन किया है। यह ग्रन्थ मूलतः संस्कृत भाषा में है, उसका गुजराती अनुवाद स्वामी जी ने करवाया। उसी गुजराती से हिन्दी भाषा में भी अनुवाद किया गया है।
ग्रन्थ की रचना का समाप्ति काल संवत् १९३१, पौष मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी (१३ जनवरी, सन् १८७५, रविवार) का दिन है। इसका गुजराती अनुवाद सहित प्रथम संस्करण संवत् १९३३ के आरम्भ में 'ओरिण्टल प्रेस' बम्बई से प्रकाशित हुआ था। इसका गुजराती अनुवाद महर्षि के प्रमुख शिष्य श्याम जी कृष्ण वर्मा ने किया था।
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Title : शिक्षापत्रीध्वान्ति-निवारणम्
Sub Title : N/A
Series Title : दयानन्द ग्रन्थमाला
Language : Hindi
Category :
Subject : स्वामी नारायण मत खण्डन
Author 1 : स्वामी दयानन्द सरस्वती
Author 2 : N/A
Translator : N/A
Editor : N/A
Commentator : N/A
Publisher : Vedic Pustakalay
Edition : 4th
Publish Year : 2016
Publish City : Ajmer
ISBN # : N/A
http://www.vediclibrary.in/book/shikshapatri-dhwanti-nivaranam