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भ्रमोच्छेदन
Bhramo-ucchhedan
By : Swami Dayanand Saraswati In : Hindi'भ्रमोच्छेदन' नामक ग्रन्थ महर्षि दयानन्द द्वारा लिखा गया है। महर्षि ने यह ग्रन्थ संवत् १९३७, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि गुरुवार को पूर्ण किया। यह ग्रन्थ हिन्दी भाषा में लिखा गया है। इस ग्रन्थ में महर्षि दयानन्द जी के अपने शब्दों में ही, “अब जो राजा शिवप्रसाद जी ने स्वामी विशुद्धानन्द जी की सम्मति लिखी, ज्येष्ठ महीने में, निवेदन पत्र छपवा के प्रसिद्ध किया है, उसी के उत्तर में यह पुस्तक है।"
राजा शिवप्रसाद एक विद्वान् भी हैं महर्षि दयानन्द जी की पहले यही धारणा थी और वे उनसे मिलना भी चाहते थे, परन्तु एक बार संवत् १९२६ कार्तिक सुदी १४, गुरुवार के दिन अचानक कुछ समय के लिए स्वामी जी की उनसे बात हुई तो उनकी धारणा बदली। उनके शब्दों में, "परन्तु शोक है कि जैसा मेरा प्रथम निश्चय राजा जी पर था वैसा उनको न पाया। राजा जी की वाचालता बहुत बड़ी और समझ अति छोटी देखी है।" वस्तुतः स्वामी जी इसके माध्यम से स्वामी विशुद्धानन्द जी को चेताना चाहते थे। उनके अनुसार, राजा जी तो संस्कृत विद्या पढे ही नहीं तो उनके सामने यह लेख तो ऐसा ही है जैसे बहरे के सामने अत्यन्त निपुण गाने वाले का वीणा आदि बजाना।
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Title : भ्रमोच्छेदन
Sub Title : N/A
Series Title : दयानन्द ग्रन्थमाला
Language : Hindi
Category :
Subject : वैदिक धर्म
Author 1 : स्वामी दयानन्द सरस्वती
Author 2 : N/A
Translator : N/A
Editor : N/A
Commentator : N/A
Publisher : Vedic Pustakalay
Edition : 4th
Publish Year : 2016
Publish City : Ajmer
ISBN # : N/A
http://www.vediclibrary.in/book/bhramo-ucchhedan