• Uploaded @ : 3 years ago
  • Pages: 117
  • Size: 766.61 KB
  • Scan: Good
  • Views: 839
  • Download: 358
मैक्समूलर द्वारा वेदों का विकृतिकरण

Maxmular dwara Vedon Ka Vikritikaran

By : Krishnadutta Paliwal In : Hindi

मैक्समूलर ने अपनी बहु अर्थी लेखनी की आड़ में आजीवन वेदों को विरूपित किया, फिर भी वह अपने को हिन्दू धर्म का हितैषी होने का ढोंग रचता रहा। इस बात के इतने पक्के, सच्चे और आश्चर्यजनक प्रमाण हैं कि कोई भी तर्क उसे वेदों के विकृतीकरण के दोष से बचा नहीं सकता।

०१. यह पुस्तक क्यों 
०२. एक मैक्समूलर की खोज क्यों? 
०३. यूरोप में संस्कृत साहित्य में रुचि क्यों? 
०४. मैक्समूलर द्वारा ही वेद भाष्य क्यों? 
०५. क्या मैक्समूलर वेद भाष्य करने योग्य था? 
०६. मैक्समूलर के वेद भाष्य पर मैकॉले का प्रभाव 
०७. मैक्समूलर द्वारा वेदों का विकृतीकरण क्यों? 
०८. मैक्समूलर द्वारा वेदों का विकृतीकरण कैसे?

०९. मैक्समूलर ने वेदों में क्या विकृत किया 
१०. मैक्समूलर एक ईसाई धर्म प्रचारक 
११. मैक्समूलर का असली चेहरा 
१२. संदर्भ ग्रंथ 
१३-निवेदन

  • Title : मैक्समूलर द्वारा वेदों का विकृतिकरण


    Sub Title : N/A


    Series Title : N/A


    Language : Hindi


    Category :


    Subject : वैदिक अनुसंधान


    Author 1 : कृष्णदत्त पालीवाल


    Author 2 : N/A


    Translator : N/A


    Editor : N/A


    Commentator : N/A


    Publisher : Hindu Writers Forum


    Edition : N/A


    Publish Year : N/A


    Publish City : NEW DELHI


    ISBN # : N/A


    https://www.vediclibrary.in/book/maxmular-dwara-vedon-ka-vikritikaran