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Pt. Munnalal Mishra

पण्डित मुन्नालाल मिश्र

श्री पण्डित मुन्नालाल मिश्र आर्यसमाज के तपे तपाये पुराने प्रचारक और कवि हैं । रात दिन आर्य-सिद्धान्तों के प्रचार की धुन सर पर सवार रहती है । इस प्रचार की तन्मयता ने और प्रभु कृपा ने उन्हें कुछ इस प्रकार की विलक्षण क्षमता दी है कि सुधार सम्बन्धी भाव सहज ही पद्य रचना में परिणत होते जाते हैं । मैंने वैदिक दर्पण में उनकी नवीन रचनाओं को देखा है। निश्चय ही इनमें बहुत समर्थ भाषा में सुधार और उत्थान की प्रेरणा दी है। इस सामयिक कृति के लिए श्री मिश्र जी वधाई के पात्र हैं । आर्य जनता को अधिकाधिक इन रचनाओं को युवकों तक पहुँचा कर पण्डित जी के श्रम को सार्थक करना चाहिए ।

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